मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के भीम कुंड का रहस्य जिसे आज तक वैज्ञानिक सुलझा नहीं पाये...

Jayant verma
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भीम कुंड का रहस्य...


मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बजाना गांव में स्थित है, भीम कुंड ये कठोर चट्टानों के गुफा के बीच में बना है, प्राचीन भारत से ही यह स्थान साधना का प्रमुख केंद्र रहा है, यहां बड़े से बड़े ज्ञानी ऋषि मुनि तपस्वियों ने साधना कि है, वर्तमान में यह कुंड पर्यटकों और रिसर्चर का केंद्र बन गया है,


भीम कुंड के रहस्य और मान्यताएं...

भीम कुंड का सबसे बड़ा रहस्य यह है, की आज तक कोई इसका गहराई नाप नहीं पाये बड़े से बड़ा वैज्ञानिक और गोताखोर की टीम ने इसकी गहराई नापने में असफल रहे, जब इस रहस्य के बारे में विदेशी चैनलों को पता लगा, तो डिस्कवरी चैनल का टीम इसके बारे में पता लगाने इंडिया आ पहुंचे और टीम अपने साथ कई गोताखोरों को लाए थे, इस कुंड में उन्होंने कई बार डुबकी लगाएं लेकिन कुछ हाथ न लगा, इसके गहराई और सही आकलन लगाने असफल प्रयास रहे, और कोई सबूत नहीं मिला, इस कुंड का पानी हमेशा साफ रहता है और पानी के अधिक गहराई तक साफ साफ देख सकते है, और इस कुंड के पानी को मिनरल वाटर का दर्जा भी मिला है, कुंड का पानी में सूर्य की किरणों के पड़ने पर इंद्रधनुष कलर दिखाई देते है, और कुंड का पानी कभी नही सूखता रिसर्चर को इसके 80 फिट नीचे जाने पर पानी का 13 धाराएं मिले, जो किसी को नही पता की ये पानी का धाराएं कहां से आ रहे है, और इस कुंड में मृत शव तैरने के अलावा रहस्य मय तरीके से पानी डूब तथा गायब हो जाते है, और यह कुंड प्रलय आने से पहले सूचना दे देता है, और यह कुंड प्रलय आने से पहले इस कुंड का पानी का स्तर 500 फिट ऊपर बढ़ जाता है, भीम कुंड को लेकर कई रहस्य और मान्यता है, की इस कुंड में स्थान करने से सभी प्रकार के त्वचा संबंधित बीमारियां ठीक हो जाते है, इसके अलावा अधिक से अधिक प्यास लगने पर भी इस कुंड तीन बूंद पानी पूरा प्यास बुझा देता है, 18 वीं शताब्दी के अंतिम दशक में बिजावर रियासत के महाराज  ने यह पर मकर संक्रांति के दिन मेले का आयोजन एवम प्रारंभ करवाया था, उस मेले का परंपरा आज चला आ रहा है,


इस कुंड का निर्माण कैसे हुआ....

भीम कुंड का पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है की महाभारत के दौरान पांडव के साथ द्रोपति अज्ञातवास इस घने वन से गुजर रहे थे, उस समय द्रोपति को प्यास लगी, द्रोपति की प्यास बुझाने के लिए वहा पर जल का कोई स्रोत नही था, तब द्रोपति को प्यास के मारे व्याकुल देखकर भीम क्रोधित हो उठे, और अपने गदा से पूरा ताकत के साथ पहाड़ पर प्रहार किया था, और तब से इस कुंड का निर्माण हुआ है,

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