ताजमहल का इतिहास और उनसे जुड़े कुछ बातें...

Jayant verma
0

 

ताजमहल आगरा, उत्तरप्रदेश

ताजमहल भारत में उत्तरप्रदेश के आगरा जिले में यमुना नदी के तट पर स्थित है। ताजमहल को मुग़ल सम्राट बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम ममताज की याद में बनवाया था, ताजमहल का कार्य सन् 1632 में शुरू हुआ, और यह निर्माण का कार्य लगभग 22 सालों तक चला, और 1653 ताजमहल बन कर तैयार हुआ, ताजमहल के निर्माण कार्य में मध्य एशिया से 20 हजार मजदूरों को काम में लाया गया था, और इस कार्य में समान ढोने और लाने ले जाने के लिए 1000 हाथियों का प्रयोग किया गया था, ताजमहल को मुग़ल का सबसे अच्छा वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है, जो भारतीय फारसी और इस्लाम शैलियों का मिश्रण है, दरवाजे के बाहरी भाग पर कुरान कि कुछ लिपि सफेद संगमरमर पर लिखे है, ताजमहल के मुख्य द्वार पर्यटकों को भ्रम पैदा करता है, जैसे ही कोई व्यक्ति ताजमहल के मुख्य द्वार के पास पहुंचता है, तो उसे मकबरा अपने से दूर जाते हुए प्रतीत होता है, जबकि मुख्य द्वार से बाहर की तरफ आने पर मकबरा बड़ा होता जाता हुआ दिखाई देता है, 


ताजमहल और उनके मीनार की ऊंचाई....

ताजमहल की ऊंचाई 73 मीटर है और उनके चारो कोनो पर जो बना हुआ मीनार की ऊंचाई 40 मीटर है और ये बाहर की तरफ झुका हुआ है।


ताजमहल को बनाने और नकाशी के लिए कहां कहां से कीमती रत्न पत्थर लाए गये थे....

ताजमहल को बनाने और नकाशी करने के लिए कई देशों कीमती रत्न पत्थर लाए थे, जिनमे सफेद संगमरमर का पत्थर चीन से जेड और क्रिस्टल तिब्बत से लैपिज,लाजूली श्रीलंका से फिरोजा अफगानिस्तान से नीलम अरब से कार्लेनियन समेत 28 प्रकार के बहुमुल्यवान बेस्किमती पत्थर और रत्न सफेद संगमरमर पर जड़े है,


ताजमहल पर अम्ल वर्षा का क्या प्रभाव पड़ता....

ताजमहल को सफेद संगमरमर पत्थरों से बनाया गया है, जब अम्ल वर्षा होती है तो ना ही इन पर पानी का दाग लगते है और ना ही काई जमते है, और अमल वर्षा के प्रभाव के कारण सफेद संगमरमर पीले जरूर पड़ने लग गए है,

ताजमहल को बनाने में कितने संपत्ति खर्च हुए थे....

ताजमहल को बनाने में 3 अरब 200 मिलियन डॉलर की संपत्ति खर्च हुए थे।

ताजमहल को लेकर लोगों में कई कहावते....


ताजमहल को लेकर लोगों में कई कहावतें है, लोगों का कहना है की शाहजहां ने इमारत के निर्माण के बाद कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे, ताकि ऐसा नायब खूबसूरत नमूना और कोई न बना सके, कुछ लोगों का मानना है की इस ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनाया था, लोग मानते है की यह पहले हिंदू मंदिर था, जिसे शाहजहां मकबरे में बदल दिया गया, और इसे इतिहाकार पी एन ओक ने अपनी किताब ताजमहल द ट्रू स्टोरी में उल्लेख किया है, जिसे 1989 में लिखा गया था, पी एन ओक का कहना है, यह इमारत भारत पर मुस्लिम हमला के दशकों के पहले बनाया सन् 1555 में बनाया गया था, ताजमहल का नाम संस्कृत में `तेजो महालय` का बिगड़ा हुआ रूप है, जो एक शिव मंदिर को दर्शाता है, कुछ इतिहासकारों का मानना है की शाहजहां यमुना के दोनो किनारे पर एक जैसे दो ताजमहल बनवाना चाहते थे, जिसमे पहले ताजमहल को सफेद संगमरमर से और दूसरे को काले संगमरमर से जिसे बनवाने अधिक समय और अधिक धन का अभाव के कारण बिलकुल असम्भव नहीं था,

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)