भारत में बहुत से ऐसे पर्यटक स्थान है जहां राजा महाराजा का खजाना छुपे या दबे होने का बात कहा जाता है, ऐसी एक कहानी सोन भंडार गुफा के बारे में बहुत विख्यात है, तो आइए जानते है।
सोन भंडार गुफा, राजगीर |
बिहार में स्थित सोन भंडार गुफा के बारे में...
सोनपुर का गुफा बिहार राज्य के नालंदा जिले के राजगीर में स्थित है, सोन भंडार गुफा के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा गोल आकार का पत्थर बंद है जिसे खोलने और खजाना तक पहुंचने के लिए अंग्रेजो ने इसे कई बार तोपों से प्रहार लेकिन उनका हर प्रयास और कोशिश असफल रहे, इस गुफा में हजारों सालों से खजाना दबा पड़ा है।
भगवान बुद्ध ने अपना बौद्ध धर्म का पहला उपदेश...
भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म का अपना पहला उपदेश बिहार राज्य के राजगीर में सोन भंडार गुफा के स्थान पर दिया था।
कितने सौ सालों से सोन भंडार गुफा में दबा है यह खजाना...
2500 सालों से दबा है राजगीर के सोन भंडार गुफा में यह खजाना यहां पर मगध का राजा बिम्बिसार और उनके वंशजों का खजाना दबा हुआ है।
राजगीर के लोग और अंग्रेजी दस्तावेज सोन भंडार गुफा के बारे में बताते...
राजगीर के लोगों का मानना है, की इस सोन भंडार गुफा में कई हजारों टन सोना दबा पड़ा है, अंग्रेजो के जमाने में अंग्रेजो ने इस खजाने को लूटकर ब्रिटेन ले जाने की उद्देश्य से इस खजाने तक पहुंचने के लिए नक्शा तैयार किया,
संरुबेल एंड्रियूज को नक्शा बनाने के काम पर लगाया गया था, उन्होंने नक्शे में बताया की इस गुफा के बीचों बीच एक बहुत बड़ा कमरा है, जिसमे हजारों टन सोना दबा पड़ा है, और उस कमरे तक किसी का भी पहुंचना बिलकुल असम्भव है, यह तक प्रवेश भी नही कर सकते, इस गुफा के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक विशाल बड़ा पत्थर रखा हुआ है, हजारों सालों से ये पत्थर ऐसे ही रख पड़ा हुआ है, इस गुफा के अंदर का रास्ता बेहद संकरा जिसपर एक समय में एक ही लोग जा सकते है, और गुफा के खजाने वाला कमरा ले मुख्य द्वार पर भी एक बड़ा पत्थर लगा हुआ है, और अंदर गुफा में एक ही आदमी अंदर घुस सकेगा तो बिना सेना का खजाने वाला कमरे का पत्थर इस लिए आज तक कोई नही हटा पाया, जब अंग्रेज सभी कोशिश करने के बाद हार गए तो इसे तोप से उड़ाने का फैसला किया, पर इस गुफा को नही हुआ और अंत में अंग्रेज असफल होकर वापस लौट गए, अंग्रेजो ने इस गुफा पर हजारों गोले बरसाये जो आज भी तोपों के द्वार बने गए गोलें के निशान है, इस गुफा के बाहर संघलिंग में कुछ लिखा हुआ है, जो यह दर्शाता है की इसमें खजाने तक पहुंचने का राज लिखा हुआ है, दुर्भाग्यवश इसे कोई पढ़ नही पाया और ना ही भाषा को समझ पाया, अंग्रेजो ने खूब प्रयास किए आदमी खोजवाए लेकिन कोई ऐसा विद्वान नही मिला जो इस पर लिखे लिपि को पढ़ पाये, इतिहास कारों का कहना है की इस गुफा को मौर्य शासक बिम्बिसार ने बनवाया था, इस गुफा को राजगीर के पहाड़ को कटकर अपने बजाने को छुपाने के लिए गुफा बनवाया था, इस गुफा में दो बड़े कमरे बनवाए गये थे, एक कमरे में सैनिक बैठकर खजाने का रक्षा करते थे, और दूसरे कमरे में अपना खजाना रखते थे, इस गुफा को बिम्बिसार ने सोना रखवाने के लिए बनाया गया था, जिसके कारण इस गुफा का नाम सोन भंडार पड़ा,
सोन भंडार गुफा को क्यों बनवाया गया...
मगध के सम्राट बिम्बिसार का बेटा आजादशत्रु चाहता था, की अपने पिता का सारा दौलत संपत्ति उन्हें मिल जाए, बिम्बिसार अपने नालायक बेटे को यह खजाना नही देना चाहते थे, अंत में बिम्बिसार ने खजाने को गुफा में छुपा दिया गया, आजादशत्रु को इस बात का पता चल गया, और आजादशत्रु इस गुफा के पास जेल बनवाकर अपने पिता को कैद करवा दिया, आज भी वह जेल टूटा फूटा अवस्था में है, और आजादशत्रु इस गुफा का खजाना लूट नही पाया, तब से यह गुफा कभी खुला ही नहीं।