कलयुग का समय पूरा होने के बाद भगवान श्रृष्टि का विनाश प्रलय से करते है, और फिर नयी श्रृष्टि का निर्माण करते है, महाराज व्यास जी बताते है की कलयुग में सबसे पहले वर्ण व्यवस्था ब्राम्हण,क्षत्रीय,वैश्य और शुद्र होंगें और लोग इनका गलत मतलब निकलेंगे या अपमान कर, लोगों पर शोषण करेंगे, आश्रम,गुरुकुल जैसे कोई चीजें नही होंगें, और वेदों शास्त्रों का कोई पालन नही करेगा, कलयुग में शादी को धर्म नहीं माना जायेगा।
शिष्य गुरु का आदर सम्मान नही करेंगे, पुत्र अपने पुत्र धर्म का पालन नही करेंगे, कलयुग में जो पैसे वाला धनवान होगा उसी को राजा माना जायेगा, सभी वर्ण के लोग कन्या को बेचकर अपने जीवन का पालन पोषण करेंगे, कलयुग में लोग अपने श्रद्धा से अनुष्ठान करेंगे, जिसमे उपवास धन खर्च को धर्म माना जायेगा, और थोड़े से धन आ जाने पर बड़ा घमंड करेंगे, स्त्रियों को उनके बालों के कारण सुंदर होने का गर्व होगा, स्वर्ण सोने चांदी और रत्नों का विनाश हो जाने पर स्त्रियां अपने केशों से सिंगार करेगी।
कलयुग में धन का इतना मोह होगा, की स्त्रियां सिर्फ धनवान व्यक्ति को ही अपना स्वामी मानेंगे, गरीब को त्याग देंगे, और अमीर को ही अपना पति स्वीकारेंगे, ज्यादातर धन घर बनाने में ही खर्च हो जायेंगे, लोग दान पुण्य करना छोड़ देंगे, और साथ ही उपभोग मनोरंजन में खत्म हो जाएगा, धर्म और कर्म का काम भी नही होंगे, कलयुग में स्त्रियां अपने रुचि से आचरण करेगी, और हाव भाव भोग विलास में ही उनका मन लगा रहेगा, जो लोग अन्याय से धन कमायेगा उन पर ही स्त्रियां का मन लगा रहेगा, लोग थोड़े से धन कमाने के लिये दूसरों का बुरा करने से नही घबराएंगे, कलयुग में बाढ़ और सूखा जैसे महाप्रलय होते रहेंगे, मनुष्य का नेत्र आसमान पर ही लगे रहेंगे, घोर कलयुग के समय वर्षा न होने के कारण खाने पीने की कोई भी वस्तु या अन्न नहीं बचेगा, इस कारण बहुत से लोग तपस्वियों की तरह फल फूल खाकर आत्महत्या कर लेंगे।
कलयुग में सदा अकाल ही पड़ता रहेगा, और मनुष्य किसी ना किसी संकट से घिरे रहेंगे, और लोग बिना स्नान करे भोजन करेंगे, और अतिथि सत्कार, सम्मान श्राद्ध देव पूजा और तर्पण की क्रिया कोई भी नही करेगा, कलयुग की स्त्रियां लोभी लालची और अधिक खाने वाली मंद बुद्धि होगी, कलयुग की स्त्रियां अपने पति और गुरु जनों का आदर सत्कार भी नहीं करेगी, और परदे के भीतर भी नही रहेगी, अपना ही पेट पालेगी, असत्य और कटु वचन बोलेगी, इसके अलावा वो दुराचारी पुरुषों से मिलने की अभिलाषा करेगी, वेदों में बताये गये ब्रम्हचर्य नियमों का पालन किये बिना ही ब्रम्हचारी लोग वेदों का अध्यापन पाठ करेंगे, और गृहस्थी लोग हवन यज्ञ नहीं करेंगे, और ना ही सत्य पात्र को उचित दान देंगे।
इसके अलावा महाराज महर्षि व्यास जी बताते है, जब जब मनुष्यों में पाखंडी प्रवित्तियां दिखने लगे, साधु विशेषताओं वाले पुरुषों की हानि होने लगे, जब धर्मात्मा जैसे मनुष्यों के चालू किये गए काम शीतल पड़ जाए, जब लोग यज्ञ के माध्यम से भगवान विष्णु के पूजा पाठ ना करे, जब वेद पुराण की बाते छोड़कर पाखंड में लोगो का रुचि बढ़ते जाए तब कलयुग का प्रकोप बढ़ने लगेगा, ऐसे समय में लोग देवताओं का पूजा,पाठ,हवन और यज्ञ करना छोड़ देंगे, कलयुग मनुष्य को सिर्फ धन का ही अभिलाषा होगा, स्त्रियां 16 वर्ष के आयु से पहले ही मां बन जायेगी, और स्त्रियां पैसे लेकर पराये मर्दों के साथ समागन करेगी, गौ माता की संख्या घटेगी, साधुओं की व्यवहार में भी परिवर्तन आयेगा।
आने वाले समय में 20 साल की उम्र में ही बुढ़ापा आ जायेगा, एक ऐसा भी समय आयेगा, मात्र 16 वर्ष की आयु में बाल सफेद हो जायेंगे, और 20 साल में बुढ़ापा आ जायेंगे , ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है, एक ऐसा भी समय आयेगा जब युवावस्था होगा ही नही, ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है, की कलयुग में किस किस प्रकार वातावरण रहेगा, इंसानों का जीवन कैसा रहेगा, और स्त्री पुरुष के बीच कैसे संबंध रहेंगे, कलयुग में स्त्री और पुरुष बहुत ही कम आयु वाले हो जायेंगे, और दोनो ही रोगों से ग्रस्त होंगे, वातारण तेजी से फैलेगा,
श्री हरिनारायण ने नारद को कलयुग के बारे में बताया की कलयुग में एक ऐसा समय आयेगा, जब हर पुरुष औरत के अधीन हो जायेगा, पत्नियां ही घर पर राज करेगी, पुरुषों की हालत नौकरों जैसा हो जायेगा।
कलयुग के 5000 हजार साल बीत जाने के बाद गंगा नदी सुख जायेगी, और पुनः बैकुठधाम लौट जायेगी, जब कलयुग के लगभग 10,000 साल हो जायेंगे, तब सभी देवी देवता धरती को छोड़कर अपने अपने धाम लौट जायेंगे, सिर्फ हनुमान जी ही ऐसे देव रहेंगे जो कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर रहेंगे, एक ऐसा भी समय आयेगा, जब जमीन से अन्न उगना बंद हो जायेगा, पेड़ो पर फल और फूल नहीं उगेंगे और गौ माता भी दूध देना बंद कर देगी, कलयुग में लोग धीरे धीरे धर्म कर्म पूजा पाठ हवन यज्ञ व्रत उपवास करना भी छोड़ देंगे, कलयुग में जो अधिक ताकतवर बलवान होगा उसी का राज चलेगा, और पूरा समाज हिंसक हो जायेगा, और जरा जरा बात पर लोग आपस में एक दूसरे का जान की दुश्मन बन जायेंगे, कलयुग में लोग पूरी तरह से शास्त्रों से विमुख हो जायेंगे, और अनैतिक साहित्यों में ही लोगों की रुचि हो जायेंगे, भाई भाई में शत्रुता चरम सीमा पर होगा, स्त्री और पुरुष दोनों ही अधर्मी हो जायेंगे, और दोनो ही अपने विवाह धर्म का पालन नही करेंगे, गैर स्त्री या पुरुषों के साथ संबंध बनाने की होड़ लगे रहेंगे, कलयुग में चोरों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जायेंगे, और बुरा काम करके धन कमाने वालों की संख्या चरम सीमा पर होंगे।
कलयुग की आयु 4 लाख 32 हजार सालों का है, जिसमे से लगभग 5000 साल पूरे हो चुके है, कलयुग को कुल चार भागों में बांटा गया है, हर एक भाग 1 लाख 8 हजार सालों का है, कलयुग के 4 लाख 32 हजार पूरे होने पर भगवान विष्णु कल्कि अवतार में जन्म लेंगे, भगवान विष्णु का जन्म विंश्नुयशा नामक ब्राह्मण के घर होगा, भगवान कल्कि एक बहुत ऊंचे घोड़े पर सवार होकर अपने बहुत बड़ी तलवार से अभी अधर्मियो का विनाश कर देंगे, संपूर्ण पृथ्वी के अधर्मियों को सिर्फ 3 दिन में ही नाश कर देंगे, सभी पापियों के नाश करने के बाद आसमान से बहुत मोटी धारों में लगातार बारिश होंगे, जिससे सभी प्राणियों का अंत हो जायेगा, उसके बाद एक साथ 12 सूर्य उदय होंगे, जिससे संपूर्ण धरती सुख जायेगा।