बुद्धिमान हंस | अकबर - बीरबल की कहानी...

Jayant verma
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एक बहुत बड़ा विशाल बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत सारे हंस रहते थे। उनमें एक हंस बहुत चतुर, बुद्धिमान और दूरदर्शी थे, सभी हंस उसका आदर करते थे और उन्हें ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे।

एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया, ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा, देखो इस बेल को नष्ट कर दो। नही तो एक न एक दिन यह बेल हम सब को मौत के मुंह में ले जाएगा।

एक युवा हंस से हंसते हुए बोला - ताऊ यह एक छोटा सा बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगा?

चतुर हंस ने समझाया - आज यह तुम्हें छोटा सा लग रहा है, धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगा, फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से लपट जाएगा, ऐसे में पेड़ पर चढ़ने के लिए नीचे से ऊपर तक सीढ़ी बन जाएगा, जिस पर आसानी से कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम सभी मारे जाए।

दूसरे हंस - को यकीन न आया, एक छोटा - सा बेल कैसे सीढ़ी बनेगा?

तीसरा हंस बोला - ताऊ तू तो एक छोटा - सा बेल को लेकर कुछ ज्यादा ही लंबा बात कर रहा है।

एक हंस बड़बड़ाया और बोला - यह ताऊ अपने अक्ल का रौब डालने के लिए अंट - शंट कहानी बना रहा है।

इस प्रकार से किसी दूसरे हंस ने ताऊ के बात को गंभीरता से नहीं लिया, इतने दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल ही कहां था?

समय बीतता गया, बेल बरगद के पेड़ में लिपटते-लिपटते ऊपर शाखाओं तक पहुंच गया, बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गया, जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था, सबको ताऊ के किए हुए बातों का सच्चाई सामने नजर आने लगा, पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतने मजबूत हो गया था, कि उसे नष्ट करना हंसों के बस का बात नहीं था।

एक दिन जब सभी हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तभी एक बहेलिया उधर आया, और बरगद पेड़ पर बना सीढ़ी को देखते ही उसने उस पेड़ पर चढ़कर जाल बिछाया और चला और वहां चला गया, अंधेरा होते ही को सभी हंस वापस लौट आए और जब पेड़ से उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरा तरह से फंस गए।

जब सभी हंस जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे, तब उन्हें ताऊ के बुद्धिमानी और दूरदर्शिता होने का पता लगा, सभी ताऊ के बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे, ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था।

एक हंस ने हिम्मत करके कहा ताऊ हम सभी मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।

दूसरा हंस बोला - इस संकट से निकलने का उपाय तू ही हमें बता सकता हैं, आगे से हम तेरा कोई बातों को नहीं टालेंगे, सभी हंसों ने हामी भरा तब ताऊ ने सभी हंसो को बताया, मेरा बात ध्यान से सुनो, सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना, बहेलिया जब तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकालकर जमीन पर रखता जाएगा, और वहां पर तुम सभी मरे हुए के समान पड़े रहना, जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा, मेरी सीटी के आवाज को सुनते ही सभी उड़ जाना।

सुबह बहेलिया आया, और सभी हंसों ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था।

सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया, सीटी के आवाज के साथ ही सभी हंस उड़ गए, बहेलिया चुपचाप होकर देखता रह गया। 

शिक्षा :-  बुद्धिमानों का सलाह गंभीरता से लेना चाहिए और साथ ही अपने से चलाक के बात पर एक बार जरुर गोर करना चाहिए।

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