भागवत गीता में भगवान के विभूतियां |
( स्रोत : गीता, अध्याय 10, विभूतियोग ) |
भगवान कहते है : मैं हूं...
1. अक्षरों - अकार
2. आठ वसुओं में - अग्नि
3. इंद्रियों - मन
4. एकादश रुद्रों में - शंकर
5. उनवास मरुद्गणों का - तेज
6. ऋतुओं में - वसन्त
7. कवियों - शुक्राचार्य
8. गणना करने वालों का - समय
9. गौओं - कामधेनु
10. गंधर्वो में - चित्ररथ
11. घोड़ों में - उच्चै:श्रवा
12. छल करने वालों - जुआ
13. छंदों में - गायत्री
14. जलचरों का अधिपति - वरुण
15. जलाशयों में - समुद्र
16. ज्योतियों में - सूर्य
17. देवों में - इंद्र
18. देवऋषियों में - नारद
19. दैत्यों में - प्रह्लाद
20. द्वारदाश आदित्यों में - विष्णु
21. नदियों में - गंगा
22. नक्षत्रों का अधिपति - चंद्रमा
23. नागों में - शेषनाग
24. पवित्र करने वालों में - वायु
25. पशुओं में - सिंह
26. पाण्डवों में - धनंजय ( अर्जुन )
27. पक्षियों में - गरुड़
28. पितरों में - अर्यमा
29. पुरोहितों में - बृहस्पति
30. भूतप्राणियों में - चेतना
31. मनुष्यों में - राजा
32. मछलियों में - मगर
33. महर्षियों - भृगु
34. महीनों में - मार्गशीर्ष
35. मुनियों में - वेदव्यास
36. यज्ञों में - जपयज्ञ
37. यक्ष-राक्षसों में - कुबेर
38. वेदों में - सामवेद
39. विद्यायों में - अध्यात्म विद्या
40. वृक्षों में - पीपल
41. वृष्णिवंशियां में - वासुदेव ( कृष्ण )
42. शब्दों में - ओंकार
43. शस्त्रधारियों में - राम
44. शस्त्रों में - वज्र
45. शासन करने वालों में - यमराज
46. शिखर वाले पर्वतों में - सुमेरू
47. सबके हृदय में - आत्मा
48. समासों में - द्वन्द्व
49. सर्पों में - वासुकी
50. सेनापतियों में - स्कन्द
51. स्थिर रहने वालों में - हिमालय पहाड़
52. सिद्धों में - कपिल मुनि
53. संतानोत्पति के हेतुओं में - कामदेव
54. हाथियों में - ऐरावत