भागवत गीता में भगवान के विभूतियां...

Jayant verma
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भागवत गीता में भगवान के विभूतियां



( स्रोत : गीता, अध्याय 10, विभूतियोग )


भगवान कहते है : मैं हूं...


1. अक्षरों - अकार

2. आठ वसुओं में - अग्नि

3. इंद्रियों - मन

4. एकादश रुद्रों में - शंकर

5. उनवास मरुद्गणों का - तेज

6. ऋतुओं में - वसन्त

7. कवियों - शुक्राचार्य

8. गणना करने वालों का - समय

9. गौओं - कामधेनु

10. गंधर्वो में - चित्ररथ

11. घोड़ों में - उच्चै:श्रवा

12. छल करने वालों - जुआ

13. छंदों में - गायत्री

14. जलचरों का अधिपति - वरुण

15. जलाशयों में - समुद्र

16. ज्योतियों में - सूर्य

17. देवों में - इंद्र

18. देवऋषियों में - नारद

19. दैत्यों में - प्रह्लाद

20. द्वारदाश आदित्यों में - विष्णु

21. नदियों में - गंगा

22. नक्षत्रों का अधिपति - चंद्रमा

23. नागों में - शेषनाग

24. पवित्र करने वालों में - वायु

25. पशुओं में - सिंह

26. पाण्डवों में - धनंजय ( अर्जुन )

27. पक्षियों में - गरुड़

28. पितरों में - अर्यमा

29. पुरोहितों में - बृहस्पति

30. भूतप्राणियों में - चेतना

31. मनुष्यों में - राजा

32. मछलियों में - मगर

33. महर्षियों - भृगु

34. महीनों में - मार्गशीर्ष

35. मुनियों में - वेदव्यास

36. यज्ञों में - जपयज्ञ

37. यक्ष-राक्षसों में - कुबेर

38. वेदों में - सामवेद

39. विद्यायों में - अध्यात्म विद्या

40. वृक्षों में - पीपल

41. वृष्णिवंशियां में - वासुदेव ( कृष्ण )

42. शब्दों में - ओंकार

43. शस्त्रधारियों में - राम

44. शस्त्रों में - वज्र

45. शासन करने वालों में - यमराज

46. शिखर वाले पर्वतों में - सुमेरू

47. सबके हृदय में - आत्मा

48. समासों में - द्वन्द्व

49. सर्पों में - वासुकी

50. सेनापतियों में - स्कन्द

51. स्थिर रहने वालों में - हिमालय पहाड़

52. सिद्धों में - कपिल मुनि


53. संतानोत्पति के हेतुओं में - कामदेव


54. हाथियों में - ऐरावत

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