कवि और धनवान व्यक्ति | अकबर - बीरबल कहानी

Jayant verma
0
कवि एक दिन किसी धनवान व्यक्ति से मिलने गया, और कवि ने धनवान व्यक्ति को इस उम्मीद से कई कविताएं सुनाया की शायद वह धनवान व्यक्ति कविताएं से खुश होकर कुछ तो इनाम जरूर देगा, लेकिन वह धनवान व्यक्ति बड़ा महाकंजुस था, उसने कवि को बोला तुम्हारा कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया, तुम कल फिर आना मैं तुम्हे खुश कर दूंगा।

कल शायद अच्छा इनाम मिलेगा कवि यह कल्पना करते हुए अपने घर पहुंचा और सो गया, और अगले ही दिन कवि उस धनवान व्यक्ति के हवेली में जा पहुंचा।

धनवान व्यक्ति ने कवि से बोला - सुनो कवि महाशय जैसे तुमने मुझे कल अपने कविता सुनाकर खुश किया था, आज मैने उसी तरह तुम्हे बुलाकर खुश किया हूं, तुमने मुझे कल कुछ भी न दिया, इसीलिए मैं भी तुम्हे कुछ नहीं दे रहा हूं, हिसाब बराबर हो गया।

कवि बहुत निराश और दुखी हो गया, उसने यह बात अपने एक मित्र को बताया और उसने बीरबल को यह बात बता दिया, यह सुनकर बीरबल बोला अब मैं जैसा कहता हूं तुम वैसा ही करना, जाओ अब तुम उस धनवान व्यक्ति से मित्रता करके उन्हे खाने पर अपने घर बुलाओ और अपने मित्र कवि को भी बुलाना मत भूलना, मैं तो खैर वहां मौजूद ही रहूंगा।

कुछ दिन बाद बीरबल के योजना अनुसार कवि के मित्र के घर दोपहर पर भोजन का कार्यक्रम तय हो गया, वह धनवान व्यक्ति कवि के मित्र के घर भोजन के लिए नियत समय पर आ पहुंचा, उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत ( वार्तालाप) में मशगूल थे, समय बीतता जा रहा था, लेकिन कहीं पर कुछ खाने पीने का नामो निशान भी नहीं था, वे लोग पहले के तरह बातचीत में व्यस्त और मग्न थे, धनवान व्यक्ति का भोजन खाने के लिए बेचैनी बढ़ते जा रहा था, और उससे रहा न गया तो उसने बोल ही पड़ा की भोजन का समय तो कब का हो चुका है, 
क्या हम यहां पर खाना खाने नही आएं है ?

बीरबल ने पूछा - खाना कैसा खाना।

धनवान व्यक्ति को गुस्सा आ गया और क्या मतलब है तुम्हारा, क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नही बुलाया है ?

बीरबल ने जवाब दिया खाने का तो कोई निमंत्रण नहीं था, यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।

इतना सुनते ही धनवान व्यक्ति का गुस्से का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, और क्रोधित स्वर में बोला, यह सब क्या है, इस तरह से किसी इज्जतदार व्यक्ति का बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।

बीरबल हंसते हुए बोला, यदि मैं कहूं की इसमें कुछ भी गलत नही है, तुमने तो भी इस कवि को यह कहकर धोखा दिया था, न की कल फिर आना मैं तुम्हे खुश कर दूंगा, सो मैंने भी तुम्हारे साथ ऐसा ही किया, और तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए।

धनवान व्यक्ति को फिर अपने गलती का अहसास हुआ, और उसने कवि को अच्छा इनाम देकर वहां से विदा लेकर चले गये।

वहां मौजूद सभी लोग बीरबल को प्रसन्नता भरे नजरो से देखने लगे।

शिक्षा :- जैसे के साथ तैसे ही व्यवहार करना चाहिए, तभी उनको अपने किए हुए गलती का एहसास होगा।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)